Saturday 8 April 2017

जीवनसाथी

जीवन साथी हो ऐसा,
             जीवन भर मुझको प्यार करे।
समझो मेरे अहसासों को,
             एक दोस्त जैसा व्यवहार करे।
जो सुख भी बांटे, दुःख भी,
            और बांटे कुछ ज़िम्मेदारी भी।
मैं कुछ भी न चाहू,
             चाहू तो थोड़ी वफादारी भी।।
जिसके कंधे पे सर रख,
               मन हल्का मैं कर पाऊ।
उसकी आँखों में देख कर,
               मैं थोड़ा और निखर जाऊ।।
मुझसे ही राते रोशन हो.
               मुझसे ही सुबह सुहानी हो।
आंख दुखे गर मेरी तो,
                उसके पलको पर पानी हो।।
कुछ बात करे खुब प्यार करे,
                मै खास रहूंँ वो आम रहे।
मै इठलाऊ बन कर राधा
                 वो मेरा घनश्याम.रहे।
हर पल वो रहे मुझमे खोया
                 मुझमे ही उसे संसार दिखे।
उसकी आंखो.मे मै जब देखू,
                 मेरा चेहरा हर बार दिखे।
वचन निभा कर सातो वो,
                 हर्षित मेरा तन मन कर दे।
बरसाये अमृत प्रेम सदा,
                  पुलकित ये जीवन कर दे।।

रश्मि(रेनू)

हर चेहरा

हर चहरा दुनिया मेंबेमिसाल होता हैं।
हर दिन यहाँ, एक नया कमाल होता हैं।।

उठती हैं उंगलियां, प्यार के रहगुज़र पर।
मोहोब्बत के नाम पर ही इतना बवाल होता हैं।।

मैं खामोश हूँ, एतराज नहीं किसी को।
क्यों मेरी हर ख़ुशी पर सवाल होता हैं।।

जिसके दिल पत्थर के हैं, वो मस्त हैं दोस्त।
मोम से दिल वाला ही यहाँ बेहाल होता हैं।।

Monday 20 March 2017

मेरा मन

मेरे मन ने दस्तक देकर, मुझको ये समझाया है।
हसना हैं, उड़ना है तुझे,खुशियो ने पर फहलाया हैं।।

पंख लगा के उड़ जा अब तो, दुनिया की क्या सोच रही।
तूने रिश्ते नाते खूब निभाए, खुद के बारे में सोच अभी।।

नीले अम्बर की ऊँचाई देख तेरा इंतज़ार करे।
ये पल है तेरे जीने का, ये सच क्यों ना तू स्वीकार करे।।

आँखों ने नीर बहुत बहाये, अब और नहीं बहाना हैं।
खुद भी खुश रहना हैं, ओरो को भी तुझे हँसाना है।।

मेरे मन ने दस्तक देकर मुझको ये समझाया है।।

क्यों

कुछ दिनों से मैंने कुछ भी लिखा ही नहीं।
ज़िम्मेदारी के आगे मुझे कुछ दिखा ही नही।।

अपने शौक को धीरे-धीरे मार रही हूँ मैं।
क्यों किसी के ज़िद के आगे हार रही हूँ मैं।।

कागज़ पर ही अपने अहसास उतार सकती हूँ।
किसी से बिन कहे सदिया गुज़ार सकती हूँ।।

कौन सुनेगा मेरी, यहाँ वक़्त किसके पास हैं।
बस कलम और कागज़, इन्ही से मुझे आस है।।

क्यों इनका साथ भी अब मुझसे छूट रहा हैं।
सच कहूं लगता हैं मेरे अंदर कुछ टूट रहा है।।

रश्मि(रेनू)

Wednesday 1 March 2017

इरादे-ए-इश्क़.... मुक्तक

इरादा-ए-इश्क़ नहीं, मगर क्या कीजिये।
उनपर ही टिक जाये नज़र क्या कीजिये।।
चेहरे पर नूर और उनका मुस्कुराना कातिल।
सीधा दिल पे करता है असर क्या कीजिये।।

रश्मि(रेनू)

सबको ये ज़िम्मेदारी....... गीतिका

सबको ये ज़िम्मेदारी उठानी होगी।
देश में अब नयी क्रांति लानी होगी।।

हर रोज़ जन्म लेती हैं कितनी निर्भया।
इनकी लाज हम ही को बचानी होगी।।

जो दोष देते हैं नारी के पहनावे को।
उनकी ये सोच जड़ से मिटानी होगी।।

समझे जो निर्भया खुद को लाचार।
उसके मन मे उम्मीद जगानी होगी।।

नारी चाहे तो दुश्मन का करदे संहार।
हर नारी अब दुर्गा माँ बनानी होगी।।

माँ, बेटी, बहु और पत्नी ये सब अनमोल।
इनकी इज़्ज़त करनी सबको सिखानी होगी।।

रश्मि (रेनू)

Monday 27 February 2017

शाम-ए-ग़म...... ग़ज़ल

शाम-ए-ग़म की सहर नही होती।
तेरे बिना ज़िन्दगी बसर नही होती।।

जिसके दिल से निकलती हैं दुआ।
उसकी दुआ कभी बेअसर नहीं होती।।

दूर जाकर पता चलती हैं अहमियत का।
पास रहकर तो कोई कदर नही होती।

गैरो से भी मिल जाती हैं मोहोब्बत।
जिधर उम्मीद हो ये उधर नही होती।।

कुछ वक़्त खुद के लिये निकालो यारो।
नहीं तो फुरसत ज़िन्दगी भर नहीं होती।।

रश्मि(रेनू)